बिलासपुर। रायपुर के पचपेड़ी नाका क्षेत्र में 13 साल पहले हुए डबल मर्डर कांड के दो मुख्य आरोपियों को अब उम्रकैद की सजा भुगतनी होगी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए अनिल देवांगन और राजेश मित्रा को दोषी करार दिया है, जबकि दो अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
यह मामला जनवरी 2011 का है, जब बस संचालक मनोज मिश्रा और उनके साथी कीर्ति चौबे की हत्या कर दी गई थी। स्थानीय बस चालक मनोज मिश्रा और ऑटो संचालक अनिल देवांगन, राजेश मित्रा समेत अन्य आरोपियों के बीच सवारियों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। इसी विवाद के चलते 2 जनवरी 2011 की शाम रायपुर के एक बार में बैठे मनोज मिश्रा और कीर्ति चौबे पर आरोपियों ने बेसबॉल बैट और चाकू से हमला कर दिया था। कीर्ति चौबे की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि मनोज मिश्रा की अस्पताल में इलाज के दौरान जान चली गई थी।
पचपेड़ी नाका थाने में इस घटना के बाद आरोपियों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
मृतक मनोज मिश्रा के पिता प्रभाशंकर मिश्रा ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई करते हुए पाया कि अनिल देवांगन से चाकू और राजेश मित्रा से बेसबॉल बैट बरामद हुए थे, जिन पर मानव रक्त पाया गया था। गवाहों ने भी इन हथियारों की जब्ती की पुष्टि की थी और बताया कि आरोपियों ने उनके सामने हत्या करने की बात कबूल की थी।
हाईकोर्ट ने इस सबूत के आधार पर ट्रायल कोर्ट के फैसले को आंशिक रूप से खारिज करते हुए अनिल देवांगन और राजेश मित्रा को दोषी ठहराया और उन्हें संबंधित अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया। अदालत ने इन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि दुर्गेश देवांगन और राजकुमार सेन को पर्याप्त सबूत न होने पर बरी कर दिया गया है।