बिलासपुर। प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली बेंच ने रायपुर में पिछले दिनों डीजे के शोरगुल से परेशान व्यक्ति द्वारा आत्महत्या करने की घटना को स्वतः संज्ञान लेते हुए ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए शासन को सख्त निर्देश दिए हैं।

गुरुवार को कोर्ट ने कहा कि आम नागरिक शांति से जीवन जीना चाहता है, लेकिन तेज आवाज और कानफोड़ू शोर ने जीवन को दूभर बना दिया है। न्यायालय ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि ऐसे माहौल में छात्र पढ़ाई कैसे करेंगे और आम नागरिक कैसे शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करेगा।

ध्वनि प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रायपुर में एक व्यक्ति ने त्यौहार के दौरान तेज डीजे बजाने से मना किया, लेकिन उसकी बात को अनसुना कर दिया गया। इस आहत व्यक्ति ने घर जाकर आत्महत्या कर ली। मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि समिति के एक सदस्य द्वारा धमकी दिए जाने से मृतक आहत हुआ था। इस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट रूप से कहा, “कानून से बड़ा कोई नहीं हो सकता।” कोर्ट ने यह भी कहा कि साउंड सिस्टम और डीजे की आवाज नियंत्रित होनी चाहिए, जैसा कि शपथपत्र में भी उल्लेखित है।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि नागरिक अपने अधिकारों को लेकर सजग हैं, लेकिन कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतते हैं। त्योहारों के नाम पर कुछ लोग नशे में धुत होकर अमर्यादित व्यवहार कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन होगा? कोर्ट ने इस पर गंभीर सवाल उठाए और इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने की जरूरत बताई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट के एक मामले का हवाला भी दिया, जिसमें डीजे को त्यौहार के लिए अनुमति दी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बाद में रद्द कर दिया।

बिलासपुर एसपी ने भी मामले में हलफनामा पेश किया, जिसमें ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन कराने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई। महाधिवक्ता ने कहा कि अनुमति योग्य आवाज में ही डीजे बजाने की निगरानी की जा रही है। कोर्ट ने पूरे प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति पर निरंतर मानिटरिंग के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने शासन को ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण की कार्ययोजना पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था, जिसमें शासन ने कहा कि प्रदेशभर में कार्रवाई के लिए बैठकें की गई हैं। ध्वनि प्रदूषण से जुड़े इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

यह भी गौरतलब है कि रायपुर की नागरिक संघर्ष समिति समेत कई अन्य नागरिकों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें त्योहारों और शादी समारोहों में कानफोड़ू आवाज में बजाए जाने वाले डीजे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। एक छोटे बच्चे की मौत की घटना को भी हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है।

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