जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों पर एक बार फिर चीफ जस्टिस सख्त
बिलासपुर। कबीरधाम के कुरदुर के पास बाहपानी में सोमवार को वाहन दुर्घटना में 19 लोगों की मौत के मामले पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बीच स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका दर्ज की है। मामले की सुनवाई 24 मई को होगी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट लगातार जनहित के महत्वपूर्ण मामलों पर स्वतः संज्ञान लेकर सरकार व प्रशासन को जवाबदेह बनाने का प्रयास कर रहा है। कबीरधाम जिले में एक पिकअप वाहन के खाई में गिर जाने से उसमें सवार 19 तेंदूपत्ता तोड़ने वाले बिरहोर आदिवासियों की मौत को भी गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने सख्त कदम उठाया है।
इस मामले में मालवाहक में तेंदूपत्ता मजदूरों को बिठाया गया था। प्रदेश में हाल के दिनों में मिनीडोर, पिकअप आदि मालवाहकों में यात्रियों के सफर दौरान दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है। इनमें अधिकांश ग्रामीण व मजदूर तबके के लोग शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा सवारी वाहनों में क्षमता से अधिक लोगों को बिठाने के कारण भी दुर्घटनाएं हो रही हैं। यातायात पुलिस व परिवहन विभाग इन मामलों में सख्ती नहीं बरत रहा है।
बिरहोर आदिवासियों की दुर्घटना में मौत के मामले को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी गंभीरता से लिया है। मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख तथा घायलों के लिए 50 हजार रुपये की सहायता राशि मंजूर की गई है। उन्होंने संबंधित विभाग को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पहले भी कई गंभीर मामलों को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की है। कोंडागांव में पुल के अभाव में बांस के जरिये नदी पार करने के मामले में सुनवाई के बाद वहां पुल बनाने का काम लोक निर्माण विभाग ने शुरू किया है। बिलासपुर में सिम्स चिकित्सालय की व्यवस्था में हाईकोर्ट की दखल के बाद काफी सुधार हुआ है। रेलवे पटरी को बच्चों द्वारा मालगाड़ी के बीच से पार करते देखकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था जिसके बाद रेलवे ने पांच साल से अधूरे फुट ओवरब्रिज का निर्माण पूरा कर दिया है। प्रदेश की खराब सड़कों को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लिया है और सड़कों की स्थिति और उनमें सुरक्षित यातायात के लिए उठाये गए कदमों पर निगरानी के लिए न्याय मित्रों को जिम्मेदारी दी गई है। बिलासपुर से विधानसभा रोड जाने वाली जर्जर सड़क की मरम्मत के लिए हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। इसमें पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने आचार संहिता का बहाना बनाया तो कोर्ट ने कहा कि जनहित के कार्यों का टेंडर जारी करने में कोई रोक नहीं है।