बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी रविंद्र कुमार कुकरेजा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश को उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने यह फैसला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक विनियम 2010 के आधार पर दिया, जिसके अनुसार यदि सेवानिवृत्ति से पहले विभागीय जांच प्रारंभ नहीं की गई, तो सेवानिवृत्ति के बाद जांच नहीं की जा सकती।

रविंद्र कुमार कुकरेजा, जो स्केल-3 अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, 31 मई 2014 को सेवानिवृत्त हुए। हालांकि, सेवानिवृत्ति से के बाद  29 जून 2014 को उन्हें सूचित किया गया कि उनके खिलाफ विभागीय जांच संस्थित की जाएगी, और सेवानिवृत्ति लाभ रोक दिए गए। इसके बाद 26 जुलाई 2014 को उन्हें आरोप पत्र सौंपा गया।

कुकरेजा ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जहां उनके वकील अजय श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि नियमानुसार, यदि सेवानिवृत्ति के पहले जांच प्रारंभ नहीं की गई, तो सेवानिवृत्ति के बाद इसे जारी नहीं रखा जा सकता। न्यायालय ने इस तर्क को मानते हुए विभागीय जांच निरस्त की और 45 दिनों के भीतर सभी लंबित सेवानिवृत्ति देयों का भुगतान करने का आदेश दिया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि विभागीय जांच आरोप पत्र देने की तिथि से मानी जाएगी, न कि जांच शुरू करने की सूचना से।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here