बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक याचिका खारिज करते हुए वृद्ध मां को हर महीने 15 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। जगदलपुर के फैमिली कोर्ट के आदेश को बेटे ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दी।

जगदलपुर की रहने वाली सुनीला मंडल के पति एसपी मंडल एनएमडीसी के कर्मचारी थे। पति की मृत्यु के बाद उन्हें परिवार की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें एनएमडीसी की नीति के तहत केवल 4 हजार रुपए मासिक पेंशन मिल रही थी, जो उनके जीवनयापन के लिए पर्याप्त नहीं है। इस कारण, उन्होंने 2019 में फैमिली कोर्ट में अपने बड़े बेटे संजय कुमार मंडल से गुजारा भत्ता की मांग की। फैमिली कोर्ट ने मां की स्थिति को देखते हुए बेटे को हर महीने 15 हजार रुपए देने का आदेश दिया। बेटे ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने अपनी आर्थिक जिम्मेदारियों का हवाला दिया। उसने बताया कि उसकी सैलरी से कार लोन, होम लोन और बीमा की बड़ी कटौतियां होती हैं। इसके बावजूद, हाई कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया और फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया।

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने अपने निर्णय में कहा कि माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी निभाना न केवल कानूनी, बल्कि नैतिक दायित्व भी है। इस जिम्मेदारी से भागने की कोशिश करना परिवारों को तोड़ने और समाज की नींव को कमजोर करने जैसा है। माता-पिता ही बच्चे को जीवन, पहचान और समाज से जोड़ते हैं, और उनके प्रति बेटे का कर्तव्य महत्वपूर्ण है।

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