बिलासपुर, 13 सितंबर — मस्तूरी क्षेत्र के सरकारी स्कूल में छात्राओं द्वारा बीयर पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। चीफ जस्टिस ने इस घटना पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सरकार से सख्त सवाल किए। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि स्कूल में शराब कैसे पहुंची? और अगर बच्चे इसे अपने साथ लाए, तो इसकी जांच क्यों नहीं हुई? कोर्ट ने कहा, “क्या कक्षाओं में शिक्षक मौजूद नहीं रहते? क्या स्कूलों में बैग की नियमित जांच नहीं होती? अगर कल कोई विस्फोटक लेकर आ गया तो क्या होगा?”
प्राचार्य पर हुई कार्रवाई
मस्तूरी विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भटचौरा में छात्राओं द्वारा कक्षा में बर्थडे पार्टी के दौरान बीयर की बोतलें लहराने का मामला सामने आया था। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पालकों ने शिकायत की, जिस पर प्रशासन ने जांच शुरू की। जांच में स्कूल के प्राचार्य लक्ष्मीचरण वारे की गंभीर लापरवाही उजागर हुई। जिला शिक्षा अधिकारी ने अनुशासनहीनता और प्रबंधन में खामियों की ओर इशारा करते हुए प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई हेतु लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) को पत्र भेजा है।
कोर्ट की सख्ती
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा सुरक्षा के प्रति की गई लापरवाही चिंताजनक है। जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि प्राचार्य ने इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को समय पर नहीं दी और मामले को दबाने का प्रयास किया। इस लापरवाही से अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच तनाव बढ़ा है, जिससे छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
शिक्षकों की कमी पर सवाल
इस मामले के साथ ही, बिलासपुर के पचपेढ़ी क्षेत्र के एक स्कूल में शिक्षकों की कमी के मुद्दे पर भी कोर्ट ने शासन से जानकारी मांगी है। हाल ही में इस स्कूल की छात्राओं ने शिक्षक नियुक्ति की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था, जिन्हें तहसीलदार द्वारा धमकाया गया था।गुरुवार को शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि राजनांदगांव के एक स्कूल में अध्यापक की कमी को पूरा करने के लिए एक अपर डिवीजन शिक्षक और एक व्याख्याता की नियुक्ति कर दी गई है। हालांकि, शासन ने स्वीकार किया कि राज्य के 297 स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, जबकि 5484 स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक शिक्षक कार्यरत है। चीफ जस्टिस ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि “ऐसे हालात में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित होगी?”
अगली सुनवाई 24 सितंबर को निर्धारित की गई है। इस बीच, सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।