बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रक्रिया को धता बताने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी प्रदीप कुमार वासनिक ने खुद को सुरेश कुमार पांडे बताकर महाधिवक्ता कार्यालय में दस्तावेज जमा करने का प्रयास किया। 26 सितंबर को वासनिक ने पांडे के नाम से जवाब फाइल कराने की कोशिश की, लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता के सवालों का जवाब न दे पाने पर उनकी पोल खुल गई।
महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने इस धोखाधड़ी को गंभीरता से लेते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करार दिया। उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि ऐसे कृत्य न केवल कानूनी व्यवस्था को कमजोर करते हैं, बल्कि शासन के प्रति भी अविश्वास पैदा करते हैं।
महाधिवक्ता कार्यालय में पहचान की कोई प्रक्रिया नहीं
महाधिवक्ता कार्यालय के पास प्रभारी अधिकारियों की पहचान सुनिश्चित करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। इस कारण, किसी भी व्यक्ति द्वारा फर्जी तरीके से दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं, जो राज्य के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। प्रफुल्ल भारत ने शासन से आग्रह किया है कि अब से केवल नियुक्त ओआईसी ही दस्तावेज जमा करें, और नियमों के उल्लंघन पर संबंधित के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।
हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच उठा विवाद
यह घटना तब हुई जब महेश गिरी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने जल संसाधन विभाग के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिकाएँ दायर की थीं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा था, जिसके अनुपालन में यह फर्जीवाड़ा सामने आया। सुरेश कुमार पांडे, जिन्हें सरकार ने ओआईसी नियुक्त किया था, की जगह प्रदीप वासनिक ने फर्जी पहचान के साथ जवाब फाइल करने की कोशिश की, जिससे न्यायालय और महाधिवक्ता कार्यालय की गरिमा पर सवाल खड़ा हो गया है।
यह मामला न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।