बिलासपुर। नोटिस की तामीली नहीं होने के आधार पर तलाक स्वीकृत करने के परिवार न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने परिवार न्यायालय को मामले की फिर से सुनवाई का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता धमतरी की महिला है। पति से उसका विवाद चल रहा था। विवाह के 6 साल बाद पति ने उसके विरुद्ध तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट में दायर की थी। महिला को जवाब देने के लिए फैमिली कोर्ट से नोटिस भेजी गई। मगर उसे वह नहीं मिली। महिला के दो पते हैं, जिनमें से एक ही पते पर रजिस्टर्ड डाक से बार-बार नोटिस भेजी गई, जहां वह नहीं रहती। नोटिस बार-बार वापस लौट आई। नोटिस की तामील नहीं होने के बाद फैमिली कोर्ट ने एकपक्षीय निर्णय लिया और पति को तलाक की अनुमति दे दी। महिला को तलाक का आदेश पारित होने की जानकारी तब मिली जब पति ने दूसरी शादी की। इस पर महिला ने हाईकोर्ट में फैमिली कोर्ट के आदेश के विरुद्ध याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि फैमिली कोर्ट ने एकपक्षीय आदेश पारित किया और तलाक को स्वीकृति दी। तलाक की डिक्री के बारे में उसे पति की दूसरी शादी होने पर पता चला। जिस पते पर भेजा गया उस पते पर वह नहीं रह रही है। इसलिये नोटिस हर बार वापस हो गई, जबकि पति को उसके निवास स्थान के बारे में जानकारी थी। जानबूझकर नोटिस उसे तामील नहीं की गई अन्यथा वह अपना पक्ष रखने के लिए फैमिली कोर्ट में उपस्थित हो सकती थी।
हाईकोर्ट ने माना कि रजिस्टर्ड डाक से भेजे जाने के बावजूद नोटिस की तामीली नहीं होने की स्थिति में एकतरफा सुनवाई कर फैसला नहीं दिया जा सकता। फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने धमतरी के परिवार न्यायालय में इस मामले की फिर से सुनवाई का आदेश दिया। सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट को विधिसम्मत आदेश पारित करना होगा।