सीनियर पीआरओ की सीपीआरओ के पद पर पदोन्नति का रास्ता साफ

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेलवे बोर्ड की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश के तहत सीनियर पीआरओ ( वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी) संतोष कुमार को सीपीआरओ (मुख्य जनसंपर्क अधिकारी) के पद पर प्रमोशन देने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक निर्देशों के माध्यम से वैधानिक नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट की डबल बेंच, जिसमें जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल शामिल थे, ने रेलवे बोर्ड की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें कैट द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी। कैट ने अपने आदेश में सीनियर पीआरओ संतोष कुमार को सीपीआरओ के पद पर पदोन्नति देने का निर्देश दिया था ।

संतोष कुमार की 1997 में रेलवे में पीआरओ के पद पर नियुक्ति हुई थी और 2004 में उन्हें एडहॉक आधार पर सीनियर पीआरओ के पद पर पदोन्नति दी गई थी। उन्हें नियमित प्रमोशन नहीं दिया गया और पात्र होने के बावजूद सीपीआरओ के पद पर भी पदोन्नति से वंचित रखा गया। इसके खिलाफ उन्होंने कैट में याचिका दायर की, जहां उन्हें न्याय मिला।

कैट ने कहा कि रेलवे प्रशासन ने दो बार संतोष कुमार के साथ अन्याय किया है—पहली बार जब उन्हें सीनियर पीआरओ के पद पर नियमित प्रमोशन नहीं दिया गया और दूसरी बार जब उन्हें सीपीआरओ के पद पर पदोन्नति से वंचित रखा गया। कैट ने रेलवे को डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) के माध्यम से सीनियरिटी के आधार पर संतोष कुमार को सीपीआरओ के पद पर प्रमोशन देने का निर्देश दिया।

इस आदेश के खिलाफ रेलवे बोर्ड ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासनिक निर्देशों का उपयोग केवल वैधानिक नियमों की कमी को दूर करने या उन्हें पूरा करने के लिए किया जा सकता है, न कि उन्हें संशोधित करने या बदलने के लिए।

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