रायपुर में महादेव सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को लेकर एक नई कानूनी मोड़ आया है। दोनों आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के माध्यम से रायपुर की विशेष अदालत द्वारा जारी वारंट को चुनौती दी है। कपिल सिब्बल ने अदालत में तर्क दिया कि चंद्राकर और उप्पल अब Vanuatu (वानूआतू) नामक देश के नागरिक हैं, और भारतीय अदालतों के पास उनके खिलाफ ऐसे वारंट जारी करने का अधिकार नहीं है।
सिब्बल का तर्क- वारंट क्षेत्राधिकार से बाहर
बुधवार को जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की अदालत में हुई सुनवाई में कपिल सिब्बल ने यह तर्क दिया कि रायपुर स्थित ईडी की अदालत के पास वानूआतू के नागरिकों को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालत ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह वारंट जारी किया है, जो कि कानूनी रूप से अवैध है। सिब्बल ने कहा कि प्रत्यर्पण का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने सौरभ चंद्राकर के प्रत्यर्पण पर कोई कार्यवाही नहीं की है।
Vanuatu देश की नागरिकता कैसे मिलती है?
Vanuatu एक छोटा सा द्वीपीय देश है, जो अपनी ‘इकोनॉमिक सिटिजनशिप’ प्रोग्राम के लिए प्रसिद्ध है। इस कार्यक्रम के तहत, कोई भी विदेशी नागरिक एक निर्धारित राशि का निवेश करके वानूआतू की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। आमतौर पर, यह प्रक्रिया $130,000 (लगभग 1 करोड़ रुपये) के निवेश के साथ शुरू होती है, जिसमें आवेदनकर्ता को उनके परिवार सहित नागरिकता मिलती है। इस प्रकार, सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल भी इस प्रक्रिया के माध्यम से वानूआतू के नागरिक बने हैं।