बदलापुर (महाराष्ट्र) रेलवे स्टेशन पर मंगलवार शाम को उस समय तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई जब दो बच्चियों के साथ हुए कथित यौन शोषण के खिलाफ रेल रोको आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया।

सुबह से पटरियां जाम 

यह घटना मुंबई महानगर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बदलापुर रेलवे स्टेशन की है, जहां सुबह करीब 8:30 बजे से स्थानीय निवासियों ने रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में सैकड़ों लोग, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, बड़ी संख्या में रेलवे पटरियों पर जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तार स्कूल परिचारक को फांसी देने की मांग की। राज्य सरकार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बार-बार अपील के बावजूद प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे।

स्टेशन में पथराव 

पुलिस के अनुसार, शाम करीब 6 बजे स्थिति तब बिगड़ गई जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशन पर पथराव करना शुरू कर दिया। इस दौरान पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवानों को बड़ी संख्या में स्टेशन और उस स्कूल पर तैनात किया गया, जिसे पहले ही प्रदर्शनकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।

ट्रैक शाम 6 बजे खाली हुई

स्थानीय ट्रेन सेवाओं में बाधा डालने और कुछ बाहरी ट्रेनों के मार्ग बदलने के बाद, पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। आखिरकार, शाम 6 बजे के बाद रेलवे ट्रैक को साफ किया गया और क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल हो गई।

विपक्ष ने सरकार को घेरा

महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता और शिवसेना (UBT) के नेता अम्बादास दानवे ने लाठीचार्ज की निंदा की और कहा, “यह लाठीचार्ज गलत है… गिरिश महाजन कौन हैं? वह यहां क्यों थे? क्या वह गृह मंत्री हैं?… पूरी महाराष्ट्र सरकार ठीक नहीं है, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को सरकार में रहने का कोई अधिकार नहीं है।”

फांसी पर हम नहीं चढ़ा सकते

महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने घटनास्थल का दौरा किया और प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी इस मामले में स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने वाले हैं, जहां यह घटना घटी थी।

महाजन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “यहां पिछले 10 घंटों से आंदोलन चल रहा था। हम सभी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। मैं दोपहर से यहां था। मैंने प्रदर्शनकारियों से एक घंटे तक बात की और उनसे रेलवे ट्रैक को खाली करने का अनुरोध भी किया। उनकी सभी मांगें – फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल, उज्ज्वल निकम को वकील नियुक्त करना, स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई, लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई – पूरी हो चुकी हैं। हम भी आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाना चाहते हैं। लेकिन प्रदर्शनकारी चाहते थे कि आरोपी को उनके सामने लाकर फांसी दी जाए। लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते… कानून में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।”

FIR में देरी का आरोप खारिज

बदलापुर में दिन की शुरुआत में तब आंदोलन शुरू हुआ जब नाराज अभिभावक और स्थानीय लोग स्कूल के बाहर इकट्ठे हुए और न्याय की मांग की। बाद में भीड़ रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ गई और उन्होंने ट्रेन सेवाओं को अवरुद्ध कर दिया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने स्कूल की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया, जिसमें गेट, खिड़की के शीशे, बेंच और दरवाजे तोड़ दिए गए।

जोन IV के पुलिस उपायुक्त सुधाकर पथारे ने मीडिया को आश्वासन दिया कि एक व्यापक जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और FIR दर्ज होने के साढ़े तीन घंटे के भीतर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। “तीन पुलिस अधिकारी, जिनमें दो महिलाएं शामिल हैं, सभी सबूत इकट्ठा कर रहे हैं ताकि पूरी जांच सुनिश्चित की जा सके,” उन्होंने बताया।

FIR दर्ज करने में देरी के आरोपों को संबोधित करते हुए, DCP ने स्पष्ट किया कि रात 11:30 बजे एफआईआर दर्ज करना शुरू हुआ और सुबह 3:30 बजे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि 3 से 4 साल की उम्र के बहुत छोटे पीड़ितों से जानकारी जुटाने की जटिलता के कारण मामले को दर्ज करने में समय लगा।

यह स्पष्टीकरण तब आया जब विपक्ष ने आरोप लगाया कि पीड़िता के माता-पिता को FIR दर्ज करने की अनुमति देने से पहले 11 घंटे तक इंतजार कराया गया।

घटना क्या थी?

घटना 12 और 13 अगस्त की है। आदर्श स्कूल में 23 वर्षीय सफाईकर्मी अक्षय शिंदे ने दोनों बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया। इसके बाद से दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डरने लगीं। माता-पिता को शक हुआ। उन्होंने बच्चियों से विश्वास में लेकर पूछताछ की, तो सच्चाई सामने आई।

एक माता-पिता ने उसी कक्षा की दूसरी बच्ची के माता-पिता से संपर्क किया। जब डॉक्टर ने जांच की, तो पूरी घटना स्पष्ट हो गई। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शुभदा शितोले ने पॉक्सो का मामला होने के बावजूद एफआईआर दर्ज करने में देरी की।

बच्चियों के माता-पिता ने सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहायता से बदलापुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। दो दिन बाद, 16 अगस्त को शुक्रवार देर रात केस दर्ज किया गया और 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया गया। आरोपी अक्षय को 1 अगस्त को ही स्कूल में अनुबंध पर नियुक्त किया गया था।

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