बिलासपुर। आवासीय प्रयोजन के लिए मिली करोड़ों कीमती नजूल भूमि का गलत तरीके से विभाजन कर 54 टुकड़ों में बेचने का मामला सामने आया है। लीजधारक भूपेंद्र राव तामस्कर ने बिल्डर राजेश अग्रवाल के साथ मिलकर इस जमीन की रजिस्ट्री करवाई, जिसमें पंजीयन कार्यालय के दो डिप्टी रजिस्ट्रार लक्ष्मी पांडेय और वीएस मिंज ने सरकारी नियमों को नजरअंदाज कर भूमिका निभाई। कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा गठित जांच समिति ने मामले की जांच की, जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद दोनों डिप्टी रजिस्ट्रार को निलंबित कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

भूपेंद्र राव ने सिविल लाइन क्षेत्र के कुदुदंड में स्थित 2 एकड़ 13 डिसमिल नजूल भूमि को आवासीय उपयोग के लिए लीज पर लिया था। 2015 में लीज की अवधि बढ़ाकर 2045 तक कर दी गई थी, लेकिन भूपेंद्र राव ने नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति के बिना ही भूमि के 54 टुकड़े बेच दिए। पंजीयन कार्यालय के अधिकारियों ने भी नियमों को दरकिनार कर इन टुकड़ों की रजिस्ट्री कर दी।

कलेक्टर की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि नजूल अधिकारी द्वारा कई नामांतरण भी किए गए थे, जबकि नगर निगम आयुक्त द्वारा इसका विरोध किया गया था। कलेक्टर ने इस आधार पर नजूल अधिकारी को इन नामांतरणों का पुनर्विलोकन करने और रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही पंजीयन विभाग को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर के निर्देश पर नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत ने सिविल लाइन थाने में लीजधारक भूपेंद्र राव तामस्कर और बिल्डर राजेश अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। पुलिस अब इस मामले में शामिल अन्य लोगों की भी जांच करेगी।

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