अंबिकापुर। प्रधानमंत्री कार्यालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को आईएएस संजीव झा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू करने के लिए एक पत्र भेजा है। उन पर सरगुजा में कलेक्टर रहने के दौरान बांग्लादेशी शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए दिए गए ऋण के पट्टे को बेचने की थोक अनुमति देने का आरोप लगा है। झा के खिलाफ जांच का आदेश सरगुजा के आरटीआई कार्यकर्ता अधिवक्ता डीके सोनी द्वारा पीएमओ में की गई शिकायत के बाद दी गई है। आईएएस झा ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को दुर्भावनापूर्ण व तथ्यरहित बताया है।
इन जमीनों को भूमि अभिलेखों के अनुसार ‘पुनर्वास पट्टा’ कहा जाता है और लोग इसे ‘बंगाली पट्टा’ के रूप में जानते हैं। शिकायत के प्रत्युत्तर में भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अवर सचिव रूपेश कुमार ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है, जिसमें छत्तीसगढ़ कैडर के 2011 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार झा के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
ज्ञात हो कि कुछ माह पहले पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और अन्य के कई परिसरों पर आयकर विभाग ने तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की थी। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग को मिले दस्तावेजों से पता चला कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में आए बांग्लादेश के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए बनाई गई सरकारी जमीन को सत्ता के प्रभाव में हड़पी गई है।
बांग्लादेश से आए इन शरणार्थियों को अंबिकापुर के सुभाष नगर क्षेत्र में और उसके आसपास जमीन आवंटित की गई थी। आईटी विभाग की जांच में यह भी पता चला है कि सिंडिकेट ने जिला कलेक्टर से अनुमति मिलने के बाद बहुत कम कीमत पर ‘बंगाली पट्टा’ खरीदा था, क्योंकि उनकी तत्कालीन मंत्री अमरजीत भगत से करीबी थी। बाद में उन्हीं ‘बंगाली पट्टा’ की जमीनों को अमरजीत भगत के रिश्तेदारों सहित अन्य व्यक्तियों को बेच दिया गया। इस जमीन का वर्तमान मूल्य एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ से अधिक है।
आरटीआई कार्यकर्ता सोनी ने राज्य के आर्थिक अपराध जांच और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी शिकायत दर्ज कराई थी। यह भी आरोप है कि जब झा का सरगुजा से कोरबा तबादला हो गया तब भी उन्होंने अनुमति पत्र जारी किए।
सरगुजा के पूर्व कलेक्टर संजीव कुमार झा ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि ‘पुनर्वास पट्टा’ की बिक्री और खरीद में सुविधा प्रदान करने के लिए राजस्व विभाग के सभी आवश्यक नियमों का पालन किया गया था। छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता (सीजीएलआरसी) के तहत एक न्यायिक शक्ति के अनुरूप कार्रवाई की गई है। इसके तहत किसी भी गलत काम को राजस्व न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए। झा वर्तमान में रायपुर में समग्र शिक्षा के निदेशक हैं। उनका कहना है कि पूरा प्रकरण दुर्भावनापूर्ण और तथ्यों से रहित है। आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश सोनी स्वयं और उनके रिश्तेदार शरणार्थी भूमि खरीदने के लाभार्थी हैं, जिसके लिए उन्होंने सरगुजा में अपने उत्तराधिकारी कलेक्टर से अनुमति ली थी। झा ने कहा कि कलेक्टर कोर्ट के मामलों को ई-कोर्ट मॉड्यूल के माध्यम से ऑनलाइन स्वीकार, सुना और निपटाया जाता है, लेकिन सोनी ने बैकडेटिंग का आरोप लगाया है, जो संभव नहीं है।