चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (पीके) ने कहा है कि बीजेपी का नंबर पिछली लोकसभा में 303 था। इस बार भी पार्टी का नंबर वही या उससे कुछ बेहतर होगा, उससे खराब नहीं होगा। ऐसा मुझे लगता है।
बिजनेस टुडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (PK) ने आजतक से खास बातचीत में कहा है कि बीजेपी का नंबर पिछली लोकसभा में 303 था। इस बार भी पार्टी का नंबर वही या उससे कुछ बेहतर होगा, उससे खराब नहीं होगा। ऐसा मुझे लगता है। उन्होंने कहा कि एनडीए की कितनी सीटें आएंगी, ये आकलन बेमानी है। जीतने के बाद कौन कहां जाएगा, कहा नहीं जा सकता लेकिन बीजेपी 270 से नीचे भी नहीं जा रही है। पीके ने आगे जोड़ा कि प्रधानमंत्री ने जनवरी में पहली बार कहा था कि हमें 370 और एनडीए की 400, मैं तब से कह रहा हूं कि बीजेपी की 370 सीटें तो आ ही नहीं सकतीं। यह अपने कार्यकर्ताओं के लिए है।
उन्होंने कहा कि 2014 की जीत मोदीजी की फ्लॉलेस विक्ट्री थी, उम्मीद की विक्ट्री थी. लोगों को लगता था कि वह (नरेंद्र मोदी) आएंगे और देश बदल जाएगा। पीके ने कहा कि 2019 की विक्ट्री विश्वास की विक्ट्री थी। 2019 में मोदी के प्रति विश्वास का वोट था कि हमें इन पर भरोसा है, इन चीजों की उन्होंने शुरुआत की है और हर क्षेत्र में अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि 2024 में अल्टरनेटिव नहीं होने की विक्ट्री है। 2024 में उनके सामने कोई बेहतर विकल्प, बेहतर चैलेंजर नहीं आया. इससे इनकार नहीं कर रहा कि वो जीत के आएंगे, सरकार बनाएंगे और सरकार चलाएंगे लेकिन मोदीजी के लिए जो अंधभक्ति थी, जो भरोसा था, जो पब्लिक सपोर्ट था जो एक लीडर की ताकत होती है, उसकी इंटेंसिटी में कमी आई है।
पीके ने कहा कि इसीलिए दिख रहा है कि जमीन पर मोदीजी के नाम की लहर नहीं है। एनालिटिकल टूल्स, डेटा और इंटरव्यू की टीआरपी… अगर सभी को मिलाकर देखेंगे तो इंटेंसिटी में कमी आई है। उन्होंने मोदी सरकार 3.0 की चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण असंतोष देश में धीरे-धीरे बहुत बडा मुद्दा बनता जा रहा है। दूसरा जो बढ़ती असमानता है, वो सिटिंग टाइम बम है और तीसरा जो बेरोजगारी है। ये तीनों चीजें किसी भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगी।
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