बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने एसईसीएल की विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे 219 ठेकेदारों की जांच की, जिसमें गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। इनमें से दो ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है, जबकि बाकी 217 को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। यदि वे संतोषजनक जवाब नहीं देते, तो उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अधिनियम का पालन नहीं 

ईपीएफओ की जांच में सामने आया कि इन ठेकेदारों ने भविष्य निधि अधिनियम, 1952 के नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने मजदूरों से काम तो लिया, लेकिन उनका पंजीकरण नहीं कराया और न ही ईपीएफ में नियमित योगदान जमा किया। इतना ही नहीं, वे सरकार को अनिवार्य रिटर्न भी दाखिल नहीं कर रहे थे, जिससे कर्मचारियों के हक का नुकसान हो रहा था।

फर्जी पीएफ चालान से ठगी

जांच में यह भी पता चला कि ठेकेदारों ने एसईसीएल के विभिन्न परियोजना कार्यालयों में फर्जी पीएफ चालान जमा कर बिना किसी सत्यापन के भुगतान हासिल किया। इससे मजदूरों के भविष्य निधि के हक पर सीधा असर पड़ा।

एसईसीएल की जवाबदेही भी तय

ईपीएफओ ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि कर्मचारी भविष्य निधि कानून की धारा 4ए के तहत एसईसीएल अपने ठेकेदारों की निगरानी करने का उत्तरदायी है, लेकिन वह इस जिम्मेदारी को निभाने में पूरी तरह विफल रहा। बिना पर्याप्त जांच के ठेकेदारों के बिल पास किए गए, जिससे बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं।

किन परियोजनाओं के ठेकेदार हैं शामिल?

जांच में अनियमितता बरतने वाले ठेकेदारों की सूची इस प्रकार है:

  • कोरबा परियोजना: 10 ठेकेदार
  • गेवरा परियोजना: 40 ठेकेदार
  • कुसमुंडा परियोजना: 61 ठेकेदार
  • दीपका परियोजना: 41 ठेकेदार
  • मनेंद्रगढ़ परियोजना: 67 ठेकेदार

इन सभी पर मजदूरों को उनके अधिकारों से वंचित करने का आरोप है।

हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही जांच 

21 मार्च 2025 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश बिभू दत्ता गुरु की पीठ ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पीएफ आयुक्त के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। अदालत ने पीएफ आयुक्त को निर्देश दिया कि 30 दिनों के भीतर मामले की जांच कर उचित निर्णय लिया जाए।

10 श्रमिकों ने लगाई थी याचिका

गयाप्रसाद पासवान समेत 10 श्रमिकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की थी कि वे एसईसीएल के कोयला परिवहन कार्य में सात वर्षों से लगे हैं, लेकिन उन्हें पीएफ का लाभ नहीं दिया जा रहा। उनकी मांग थी कि एसईसीएल को पीएफ अधिनियम 1952 की धारा 7ए के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं। इससे पहले भी यह मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में उठा था, जिसके बाद श्रमायुक्त ने सुनवाई की थी।

भारी जुर्माने व एफआईआर की चेतावनी

ईपीएफओ ने स्पष्ट किया है कि यदि ठेकेदारों और एसईसीएल ने तय समय-सीमा के भीतर नियमों का पालन नहीं किया, तो उन पर भारी जुर्माना, ब्याज और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे, ताकि मजदूरों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।

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