बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुर्ग जिले के पथर्रा गांव में हुए हत्या के मामले में सभी 12 आरोपियों की अपील खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपियों ने सोची-समझी साजिश के तहत यह अपराध किया और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
क्या है पूरा मामला?
31 मार्च 2016 की रात पथर्रा गांव में जगन्नाथ भारती अपने दोस्त अक्षय कुमार उर्फ राजू के साथ पानी भरने गया था। जब वे घर लौटे, तो एक मामूली बहस से विवाद शुरू हुआ, जो देखते ही देखते हिंसक झगड़े में बदल गया।
इस दौरान आरोपी कोमल भारती को संदेह हुआ कि उसके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई है। उसने अपने ससुर दशरथ भारती और अन्य परिवारजन को भड़काया, जिसके बाद आरोपियों ने हमला कर दिया।
आरोपी कौन-कौन हैं?
हत्याकांड में संलिप्त कुल 12 आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं:
- दशरथ भारती
- कोमल भारती
- नहुष भारती
- करण भारती
- संजय भारती
- पंचू टंडन
- अमूल टंडन
- विनय टंडन
- अविनाश टंडन
- मेघनाथ टंडन
- मनीष
- बखारी
कैसे दी गई हत्या को अंजाम?
आरोपियों ने लाठी, फरसा और बेसबॉल बैट जैसे घातक हथियारों से लैस होकर गणेश भारती के घर हमला कर दिया। डर के मारे सभी लोग भागने लगे, लेकिन गणेश भारती बच नहीं सका।
आरोपियों ने उसे पकड़कर बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौके पर ही हालत गंभीर हो गई। बाद में गणेश भारती को स्कूल के शौचालय के पीछे घायल अवस्था में पाया गया। अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।
PM और FSL रिपोर्ट ने किया अपराध साबित
मृतक की पोस्टमॉर्टम (PM) और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि गणेश की हत्या योजनाबद्ध तरीके से की गई थी।
इसके अलावा, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों ने भी आरोपियों की संलिप्तता को साबित किया।
हाईकोर्ट का फैसला
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जो दर्शाते हैं कि उन्होंने इस अपराध को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए आरोपियों को दोषी करार दिया और उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। इसके साथ ही, 500 से 2000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया गया।
बचाव पक्ष की दलीलें खारिज
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यह हत्या नहीं, बल्कि अचानक हुई हिंसा का नतीजा थी। हालांकि, अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से हत्या को अंजाम दिया और इसे दुर्घटना साबित करने की कोशिश की।
अदालत की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा,
“इस मामले में अभियुक्तगणों की संलिप्तता न केवल प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से, बल्कि पोस्टमॉर्टम और एफएसएल रिपोर्ट से भी सिद्ध होती है। यह एक सोची-समझी हत्या थी, इसलिए सजा में कोई कमी नहीं की जा सकती।”