बिलासपुर। साइबर अपराध के बढ़ते मामलों पर शिकंजा कसते हुए बिलासपुर पुलिस ने ऑनलाइन ठगी में इस्तेमाल होने वाले म्यूल अकाउंट रखने वाले 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने साइबर ठगों को अपने बैंक खाते (म्यूल अकाउंट) उपलब्ध कराए, जिनका उपयोग अवैध लेन-देन में किया गया। इन खातों में करीब 3 करोड़ रुपये के संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए, जिनमें से 97 लाख रुपये फ्रीज कर लिए गए हैं।
क्या होता है म्यूल अकाउंट?
मनी म्यूल या म्यूल अकाउंट उन बैंक खातों को कहते हैं, जिन्हें किसी व्यक्ति के नाम पर खोलकर साइबर ठग अवैध धन को एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इन खातों के जरिए ठगी की गई रकम को छिपाकर ट्रांजेक्शन किया जाता है, जिससे अपराधियों की पहचान मुश्किल हो जाती है।
कैसे हुई कार्रवाई?
बिलासपुर रेंज साइबर थाना और एंटी क्राइम एवं साइबर यूनिट (ACCU) की टीम ने मिलकर 300 से अधिक फर्जी बैंक खातों और सिम कार्डों को ट्रैक किया, जिनका उपयोग साइबर ठगी में किया जा रहा था। जांच में पाया गया कि आरोपियों ने दिल्ली, राजस्थान के अलवर और अन्य स्थानों के ठगों को ये खाते उपलब्ध कराए थे।
बिलासपुर पुलिस ने 20 से अधिक स्थानों पर एक साथ छापेमारी कर 01 फर्जी सिम कार्ड बेचने वाले एजेंट और कोटक महिंद्रा व एक्सिस बैंक के कर्मचारियों सहित कुल 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी
गिरफ्तार आरोपियों में सत्यनारायण पटेल, राकेश भेड़पाल, दुर्गेश केंवट, शिवशंकर यादव, राजकुमार पाल, नंदकुमार केंवट, दीपेश कुमार निर्मलकर, सुरेश सिंह, शेखर चतुर्थी, रोशन कुमार साहू, कुनाल मंडावी, प्रथम सोनी, दिपांशु साहू, अमन तिवारी, रामलाल यादव, अमित पाल, अब्दुल रशिद, मुख्तार खान और गुज्जला जगदीश कुमार शामिल हैं। ये आरोपी कोनी, तारबाहर, कोटा, मस्तूरी और सिविल लाइन थाना क्षेत्र के निवासी हैं।
पुलिस की अपील: बचें मनी म्यूल बनने से
बिलासपुर पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे जल्दी पैसा कमाने के लालच में किसी को अपना बैंक खाता न दें। अगर कोई व्यक्ति अनजाने में भी अपने खाते का गलत इस्तेमाल करने देता है, तो धारा 3(5) भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत वह भी मुख्य अपराधी के समान दोषी माना जाएगा।
कैसे बचें?
- अनजान व्यक्तियों या कंपनियों से मिले पैसों को अपने खाते में ट्रांसफर न करें।
- बैंक खाते और डिजिटल वॉलेट की जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
- अगर आपके खाते में संदेहास्पद लेन-देन हो रहा हो, तो तुरंत पुलिस या बैंक को सूचित करें।
टीम की मेहनत को रिवार्ड
फ्रीज किए गए 97 लाख रुपये को ठगी के शिकार पीड़ितों को वापस लौटाने की प्रक्रिया जारी है। पुलिस की इस कार्रवाई को सफल बनाने में आईजी डॉ. संजीव शुक्ला, एसपी रजनेश सिंह के निर्देशन में एएसपी राजेंद्र जायसवाल, एएसपी अनुज कुमार और अन्य अधिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पुलिस ने टीम को सराहनीय कार्य के लिए इनाम देने की घोषणा की है ।