जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने बलौदा बाजार जिला जेल का दौरा कर अग्निकांड में बंद निर्दोषों से मुलाकात की और उनके पक्ष में खड़े होते हुए उन्हें न्याय दिलाने का वादा किया। इस दौरान उन्होंने पुलिस की 14820 पन्नों की विवेचना पर गंभीर सवाल उठाए और इसे फर्जी और सांप्रदायिक राजनीति से प्रेरित बताया।
अमित जोगी ने मीडिया से बातचीत के दौरान 11 चौंकाने वाले खुलासे किए, जिनसे पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने बिना ठोस आधार के निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया है और उनके संवैधानिक एवं मानवाधिकारों का हनन किया है।
क्या हैं अमित जोगी के बड़े दावे:
- जल्दबाजी में नामजद आरोपी: अमित जोगी ने बताया कि 10 जून 2024 को रात 9 बजे एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन केवल 35 मिनट के भीतर ही बिना किसी ठोस आधार के अज्ञात की जगह 10 लोगों को नामजद कर दिया गया।
- एक साथ 13 एफआईआर: उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 13 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें 356 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें से कई लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
- जमानत का लाभ: अमित ने दावा किया कि कुछ आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, फिर भी उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जो न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
- भाजपा नेता की भूमिका: जिस जनसभा का आरोप इन निर्दोषों पर लगाया जा रहा है, वह वास्तव में भाजपा के पूर्व विधायक सनम जांगड़े द्वारा आयोजित की गई थी, न कि आरोपियों द्वारा।
- सीसीटीवी फुटेज की कमी: अमित ने बताया कि जिस मार्ग पर पुलिस ने 34 सीसीटीवी कैमरे लगाए थे, उनमें से 28 कैमरे या तो खराब थे या बंद। उपलब्ध फुटेज में कोई भी आरोपी अपराध करता हुआ नहीं दिख रहा है।
- चोटें मामूली थीं: आरोप पत्र में 9 पुलिस कर्मियों के घायल होने का दावा किया गया, लेकिन उनकी मेडिकल रिपोर्ट में चोटें मामूली पाई गईं, जो गंभीर धाराओं के तहत दर्ज मामले का समर्थन नहीं करतीं।
- अतिरिक्त खर्च: अमित ने यह भी बताया कि 3 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचने का दावा किया गया है, जबकि पुलिस ने विवेचना में इससे अधिक खर्च किया।
- गवाहों की विश्वसनीयता: पुलिस द्वारा प्रस्तुत गवाहों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने बताया कि गवाहों में से 2 पॉक्सो मामले के दोषी हैं और शेष 4 को आदतन अपराधी।
- पत्थरों और डंडों की बरामदगी: अमित ने बताया कि पुलिस द्वारा बरामद किए गए पत्थर और डंडे कई दिनों बाद आरोपियों के घरों से बरामद किए गए, जो हास्यास्पद है।
- सबूतों की कमी: उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ प्रस्तुत कॉल डिटेल्स और CCTV फुटेज से कहीं यह साबित नहीं होता कि वे किसी प्रकार की हिंसा में शामिल थे।
- आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं: अमित जोगी ने पुलिस द्वारा दिए गए आरोप पत्र को फर्जी करार देते हुए कहा कि यह राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है और निर्दोषों को जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए।
अमित जोगी ने पुलिस की जांच को राजनीति से प्रेरित बताते हुए वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।