बिलासपुर। सुबेपेड़ा और आसपास के क्षेत्रों में फ्लोराइड युक्त पानी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के मद्देनज़र, राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दिए अपने जवाब में कहा है कि गरियाबंद जिले में फ्लोराइड को हटाने के लिए 43 संयंत्र संचालित किए जा रहे हैं। सरकार ने बताया कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) राज्य के ग्रामीण इलाकों में सुरक्षित पेयजल आपूर्ति के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रहा है।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने गरियाबंद के देवभोग ब्लॉक में पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा और इससे उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाशित खबर के आधार पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने 3 अगस्त को इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी किया था।

सरकार के जवाब के अनुसार, राज्य में कुल 270697 हैंडपंप लगाए गए हैं, जिनमें से 439 तकनीशियन इनकी देखभाल करते हैं। हर साल बरसात के पहले और बाद में हैंडपंपों में क्लोरीनेशन किया जाता है ताकि पानी की गुणवत्ता बनी रहे। गरियाबंद में 5 ब्लॉकों में कुल 710 गांवों में जल आपूर्ति की विभिन्न योजनाएं संचालित हैं, जिनमें पाइपलाइन, सौर ऊर्जा आधारित पंप और सिंगल फेज पंप शामिल हैं। सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत भी कई योजनाएं शुरू की हैं।

हाई कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को निर्धारित की है।

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