बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गैर अनुदान प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यक्रमों के प्रवेश के लिए राज्य सरकार और संस्थानों के बीच कोटा निर्धारित करने के नियम को अवैध करार दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम 2023 के उप-नियम (1) के खंड (अ) के उप-बंद (1) को संविधान के विरुद्ध पाते हुए इसे अल्ट्रा वायरस घोषित किया।
यह फैसला महावीर कॉलेज ऑफ आयुर्वेदिक साइंस, राजनांदगांव और अन्य गैर अनुदान प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों की याचिका पर आया, जिसमें वर्ष 2017 में स्थापित इन संस्थानों ने राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए प्रवेश नियमों को चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया कि ये संस्थान बिना किसी सरकारी अनुदान के संचालित होते हैं और यहां बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) का पाठ्यक्रम चलता है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सीजी आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम 2023 के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों में 50% सीटें स्थानीय जैन अल्पसंख्यक छात्रों के लिए आरक्षित की थीं, जबकि बाकी सीटें सामान्य मेरिट सूची से भरी जानी थीं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह नियम सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीएम इनामदार और जी. अदिति जैन मामलों में दिए गए फैसलों का उल्लंघन करता है, जिसमें अल्पसंख्यक संस्थानों को इस प्रकार के आरक्षण से मुक्त रखने का आदेश दिया गया था।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस नियम को अवैध करार देते हुए, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला दिया और कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों में छात्रों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर योग्यता के आधार पर होना चाहिए। अदालत ने निर्देश दिया कि इन संस्थानों में बीएएमएस पाठ्यक्रम के लिए नए नियम बनाए जाएं, जो न्यायिक सिद्धांतों के अनुरूप हों।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका संस्थान किसी सरकारी सहायता के बिना चलता है, और उनका राजनांदगांव के जिला अस्पताल के साथ केवल इंटर्नशिप के लिए एक अनौपचारिक संबंध है, जिसे अनुदान का रूप नहीं माना जा सकता।
संस्थान की तरफ से बताया गया कि कॉलेज में कुल 60 सीटें हैं, जिनमें 15% सीटें अखिल भारतीय कोटे के लिए हैं, जबकि शेष 51 सीटों में से 50% सीटें जैन अल्पसंख्यक छात्रों के लिए और 50% अन्य पात्र छात्रों के लिए आरक्षित थीं।
अब कोर्ट के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए नए प्रवेश नियम बनाए जाएंगे, जो उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप होंगे।