शंकराचार्य का शहर आगमन, तीन दिवसीय कार्यक्रम में दिए भक्तों के सवालों के जवाब
बिलासपुर। तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डुओं के प्रसाद को लेकर चल रहे विवाद के बीच गोवर्धन मठ पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि मठ और मंदिरों को आमदनी का साधन नहीं बनाना चाहिए। मठ-मंदिरों का दोहन नहीं होना चाहिए और इनका सरकारीकरण नहीं किया जाना चाहिए। यदि मंदिरों का संचालन शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में हो, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। मठ और मंदिरों का सरकारीकरण किसी भी रूप में उचित नहीं है।
बिरकोना रोड स्थित अशोक वाटिका में आयोजित दर्शन दीक्षा एवं संगोष्ठी कार्यक्रम के दौरान शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भक्तों के विभिन्न सवालों के उत्तर दिए। एक भक्त द्वारा गौ-हत्या पर पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वह गौ-हत्या रोकने की बात करते थे और इसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री भी बने। लेकिन अब, जब वे प्रधानमंत्री हैं, तो गौ-रक्षक गुंडे कहे जाने लगे हैं। शंकराचार्य ने खेती-बाड़ी में पशुओं की घटती संख्या और आधुनिक यंत्रों के उपयोग के बारे में कहा कि किस प्रकार बैलगाड़ी की जगह बड़े वाहन आ गए हैं और खेतों में बैलों की जगह आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल हो रहा है।
संस्कृत अध्यापन के लिए करेंगे सरकार से चर्चा
छत्तीसगढ़ के बच्चों और युवाओं को संस्कृत शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में न जाना पड़े, इस विषय पर निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वे राज्य सरकार से यहां संस्कृत विद्यालयों और भाषा के अध्यापन की शुरुआत के लिए चर्चा करेंगे। छत्तीसगढ़ की संस्कृति और संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण होगा।
हनुमान चालीसा और राम नाम का महत्व
एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि हनुमान चालीसा का 40 मिनट तक पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। राम नाम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अग्नि, सूर्य और चंद्रमा के बीच राम तत्व है, जो गहरे आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है। जीवन में उत्कृष्टता के लिए वेदों के अध्ययन और सात्विक आहार की आवश्यकता पर भी उन्होंने जोर दिया।
हिंदू राष्ट्र और गौ रक्षा की बात
दर्शन दीक्षा के दौरान शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र के निर्माण, गौ-रक्षा, और युवाओं को धर्म और अध्यात्म से जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अनुयायी उपस्थित थे और लोगों ने शंकराचार्य से आशीर्वाद प्राप्त किया।