बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के प्रबंधक ने ग्राहक को 11 वर्षों तक उनके लॉकर की जानकारी नहीं दी। इस लापरवाही के कारण ग्राहक को मानसिक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस मामले में उपभोक्ता फोरम ने बैंक प्रबंधक पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और 45 दिन के भीतर राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।
दुर्ग जिले के भिलाई निवासी रजत शर्मा ने साल 2002 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की लिंक रोड, बिलासपुर स्थित शाखा में संयुक्त खाता खोला और उसी खाते से किराए पर लॉकर सुविधा प्राप्त की। इस लॉकर में दोहरी सुरक्षा थी, जिसमें एक चाबी रजत शर्मा के पास और दूसरी बैंक प्रबंधक के पास रहती थी।
वर्षों तक सब कुछ सामान्य रूप से चलता रहा, लेकिन अचानक रजत शर्मा ने जब लॉकर का उपयोग करने की जरूरत पड़ी, तो उन्हें अपनी चाबी नहीं मिली। उन्होंने इस संबंध में बैंक प्रबंधक से संपर्क किया और लॉकर का नंबर और अन्य जानकारी मांगी, लेकिन प्रबंधक ने उन्हें कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया।
मानसिक और आर्थिक नुकसान
रजत शर्मा ने बैंक से जानकारी प्राप्त करने के लिए कई बार प्रयास किया, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। 2008 से 2019 तक बैंक के चक्कर लगाते-लगाते वह मानसिक रूप से काफी परेशान हो गए। अंततः, रजत शर्मा ने जिला उपभोक्ता फोरम में बैंक के खिलाफ शिकायत की।
45 दिनों में देना होगी क्षतिपूर्ति की राशि
मामले की सुनवाई के बाद, उपभोक्ता फोरम ने बैंक प्रबंधन को दोषी करार दिया और 2 लाख रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति 45 दिनों के भीतर रजत शर्मा को भुगतान करने का आदेश दिया। यदि यह राशि निर्धारित समय पर भुगतान नहीं की जाती है, तो 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दर से अतिरिक्त भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं।