बिलासपुर। बरपाली तहसीलदार द्वारा कब्जाधारी को शाम को वाट्सएप के जरिए बेदखली का नोटिस भेजने और सुबह ही कार्रवाई शुरू करने की मनमानी के खिलाफ हाई कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई की। याचिकाकर्ता की अर्जेंट याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष बेंच का गठन किया गया और अंतरिम राहत देते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगा दी। कोर्ट ने तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश भी दिया है।

तहसीलदार को हाजिर होने का आदेश

कोरबा जिले के बरपाली तहसील क्षेत्र के ग्राम कनकी निवासी नूतन राजवाड़े को 20 सितंबर की शाम तहसीलदार द्वारा वाट्सएप के जरिए सरकारी जमीन से बेदखली का नोटिस भेजा गया था। तहसीलदार ने कब्जा हटाने के लिए केवल कुछ घंटों का ही समय दिया, और अगले ही दिन सुबह 21 सितंबर को कार्रवाई शुरू कर दी। याचिकाकर्ता ने इस मनमानी कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई की मांग की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल बेंच का गठन किया और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की अदालत में सुनवाई हुई।

यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पीपी साहू ने अपने आदेश में कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए यह मामला तहसीलदार की मनमानी का प्रतीत होता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की भूमि पर अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया और बरपाली तहसीलदार को सोमवार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश दिए।

अधिवक्ताओं की दलील

सिंगल बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने बताया कि तहसीलदार ने सुबह-सुबह याचिकाकर्ता की जमीन से बाड़ हटाना शुरू कर दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की जमीन सरकारी है, लेकिन यह उसे उसके स्वामित्व की जमीन के बदले में दी गई थी। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए तात्कालिक रोक लगाने का आदेश जारी किया।

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