कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा है- 611 मशीनों में गड़बड़ी थी, कोर्ट जाएंगे

बिलासपुर। चुनाव परिणाम के बाद सारे ईवीएम आज जिला निर्वाचन कार्यालय के गोडाउन में शिफ्ट कर दिए गए। इनका डेटा 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाएगा। यदि कोई याचिका इस बीच दायर हो जाती है तो जब तक अदालत का आदेश नहीं होगा, ईवीएम से कोई भी छेड़छाड़ नहीं होगी।
ईवीएम के अलावा वीवीपैट, डिफेक्टिव ईवीएम मशीन और रिजर्व ईवीएम मशीन सब सीलबंद कर जिला निर्वाचन कार्यालय के गोडाउन में रख दिए गए हैं। इस दौरान पर्यवेक्षक एचके राय, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और उप जिला निर्वाचन अधिकारी शिवकुमार बनर्जी मौजूद थे।
चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार मतदान खत्म होते ही ईवीएम को कड़ी सुरक्षा में अलग स्ट्रॉन्ग रूम में लाया जाता है। यहां पर ईवीएम को अंधेरे में रखा जाता है। जहां ये रखी जाती हैं, वहां किसी किस्म की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी नहीं होती है। एक बार मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई कागजी प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। रूम को बंदकर एक बार फिर सील किया जाता है। ये प्रक्रिया उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की जाती है और उनके हस्ताक्षर लिए जाते हैं। चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद उम्मीदवारों को 45 दिन का वक्त दिया जाता है, इस अवधि के दौरान अगर उम्मीदवार को मतगणना प्रक्रिया पर संदेह है तो वह फिर से मतगणना के लिए आवेदन कर सकता है या फिर अदालत में चुनाव याचिका दायर कर सकता है। बिलासपुर में कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव ने 611 ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके संदेह का निराकरण नहीं हुआ तो वे कोर्ट जाएंगे। हालांकि मतगणना के बाद उनका इस बारे में कोई बयान नहीं आया है।
 नए स्ट्रॉंग रूम की भी केंद्रीय और राज्य के सुरक्षा बल ही सुरक्षा करते हैं। 45 दिन खत्म होने के बाद ईवीएम को पूरी सुरक्षा के साथ स्टोरेज रूम ले जाया जाता है। इसके बाद चुनाव आयोग के इंजीनियर ईवीएम की जांच करते हैं। सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद ईवीएम को दूसरे मतदान के लिए तकनीकी रूप से सक्षम घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद मांग के मुताबिक ईवीएम को नए चुनाव क्षेत्रों में भेज दिया जाता है।

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