बिलासपुर। पारिवारिक विवाद के बीच चार महीने के मासूम पर उसके पिता ने संदेह जताते हुए डीएनए टेस्ट की मांग की, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करते हुए बच्चे के खून का रिश्ता साबित करने के लिए याचिका दाखिल की थी। इससे पहले परिवार न्यायालय ने पिता को नवजात की उचित देखभाल करने की हिदायत दी थी।

दुर्ग के रहने वाले एक युवक और बालोद की युवती की शादी जनवरी 2023 में दल्ली राजहरा में हुई थी। शादी के दो साल बाद, दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया। पति ने पत्नी पर अविश्वास जताते हुए अपने चार महीने के बच्चे के डीएनए टेस्ट की मांग की।

हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के निर्णय को सही ठहराते हुए, पिता की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि बिना ठोस साक्ष्य के बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाना अनावश्यक है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 के तहत पर्याप्त प्रथम दृष्टया सबूत होने पर ही डीएनए टेस्ट का आदेश दिया जा सकता है।

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