बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रेलवे बोर्ड के निर्देशों की अनदेखी और यात्रियों को हो रही असुविधाओं को गंभीरता से लेते हुए डीआरएम से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों अब भी लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाया जा रहा है, जबकि रेलवे बोर्ड इन्हें नियमित करने का आदेश दे चुका है।
रेलवे बोर्ड के निर्देशों की अनदेखी पर सवाल
बिलासपुर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डीआरएम बिलासपुर को नोटिस जारी किया है। याचिका में आरोप है कि 21 फरवरी 2024 को रेलवे बोर्ड द्वारा जारी आदेश के बावजूद, बिलासपुर जोन में लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेनें अब भी स्पेशल ट्रेन के रूप में चल रही हैं। इससे यात्रियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गरीब यात्रियों के लिए मुसीबत
याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें नियमित रूप से चल रही हैं, लेकिन गरीब और छोटी दूरी के यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेनें अब भी स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाई जा रही हैं। इससे यात्रियों को मनमाना किराया, ट्रेन की अनियमितता, और अचानक रद्द होने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
रेलवे का जवाब
रेलवे की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को सूचित किया कि रेलवे बोर्ड ने सभी पैसेंजर, लोकल और मेमू ट्रेनों को नियमित करने का आदेश जारी किया है, और यह आदेश बिलासपुर जोन में भी लागू है। लेकिन याचिकाकर्ता ने इसके विपरीत दावा करते हुए शपथ पत्र दाखिल किया है, जिसमें बताया गया है कि इन ट्रेनों का नंबर अब भी ‘जीरो’ से शुरू होता है, जो यह संकेत देता है कि वे स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चल रही हैं।
डीआरएम को देना होगा जवाब
कोर्ट ने इन तथ्यों के मद्देनजर डीआरएम बिलासपुर को एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि रेलवे बोर्ड के आदेश के बावजूद ये ट्रेनें अब भी स्पेशल के रूप में क्यों चलाई जा रही हैं, और इसके पीछे क्या कारण हैं।