देवभोग तहसील के 40 गांवों में पानी की गुणवत्ता पर संकट, स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग तहसील के 40 गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक पाई गई है। इससे बच्चों और ग्रामीणों में गंभीर बीमारियाँ फैल रही हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को नोटिस जारी कर शासन स्तर पर किए जा रहे उपायों की जानकारी मांगी है। जनहित याचिका की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 14 अगस्त की तिथि तय की है।

पानी में फ्लोराइड की उच्च मात्रा से स्वास्थ्य पर प्रभाव

देवभोग तहसील के इन गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड की साद्रता सुरक्षित सीमा से 8 गुना अधिक है। इससे बच्चे और ग्रामीण डेंटल फ्लोरोसिस, स्केलेटल फ्लोरोसिस, गठिया, हड्डियों की क्षति, मांसपेशियों की क्षति, जोड़ों की समस्याएं, थकान, और किडनी रोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। कुछ गांवों में पानी की गुणवत्ता परीक्षण में फ्लोराइड का स्तर 4 पीपीएम पाया गया है, जबकि सुरक्षित सीमा 1.5 पीपीएम है।

नांगलदेही गांव में स्थिति

देवभोग ब्लॉक के नांगलदेही गांव में लोगों के दांत पीले हो रहे हैं और बाल सफेद हो रहे हैं। गांव की आबादी लगभग 700 है और अधिकतर लोग कमर में अकड़न, घुटने में सूजन, शरीर में दर्द, थकान और कमजोरी जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। इस कारण दूसरे गांवों के लोग इस गांव के लड़के-लड़कियों के रिश्ते ठुकरा रहे हैं।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया और अदालती कार्रवाई

अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई प्रारंभ की है। कोर्ट ने कहा कि प्रभावित गांवों के बच्चों और ग्रामीणों की स्थिति चिंताजनक है। प्रभावित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के कई प्रयासों के बावजूद, राज्य के अधिकारी पानी से फ्लोराइड हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भरत ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से चर्चा करेगी और आवश्यक उपायों पर काम करेगी।

 

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