बिलासपुर। बिलासपुर जिले के कई गांवों में हाईटेंशन ट्रांसमिशन लाइनों से हो रहे करंट और झनझनाहट की समस्या को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने इस मामले को गंभीर मानते हुए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। लेकिन पिछली सुनवाई में रिपोर्ट पेश नहीं हो पाई, जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 20 मार्च को तय की है।
हजारों ग्रामीणों को परेशानी
बिलासपुर-रतनपुर हाईवे किनारे बसे लगभग 8 गांवों—कछार, लोफंदी, भरारी, अमतरा, मोहतराई, लछनपुर, नवगंवा और मदनपुर—के हजारों ग्रामीण हाईटेंशन टावरों की वजह से परेशान हैं। इन गांवों में कई जगह हाइटेंशन तार जरूरत से ज्यादा नीचे हैं, जिससे खेतों और घरों के आसपास करंट और झनझनाहट महसूस की जाती है।
दैनिक भास्कर में इस समस्या को उजागर करने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन, सीजीपीडीसीएल के चेयरमैन, पॉवर ग्रिड और जबलपुर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड सहित 8 पक्षकारों से जवाब मांगा था।
विद्युत कंपनियों की जिम्मेदारी
पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ने अपने शपथ पत्र में बताया कि इन 8 गांवों में कुल 169 हाईटेंशन टॉवर हैं, जिनमें से—
- 77 टावर पॉवर ग्रिड के हैं।
- 15 टावर छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के हैं।
- 18 टावर जेपीटीएल स्टरलाइट कंपनी के हैं।
- बाकी टावर अन्य कंपनियों के हैं।
समाधान के लिए गठित की गई समिति
केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि विद्युत मंत्रालय ने एक समिति गठित की है, जिसमें उन कंपनियों को शामिल किया गया है जो कृषि क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइन बिछाती हैं। इस समिति को ट्रांसमिशन लीकेज का समाधान निकालने की जिम्मेदारी दी गई थी और 17 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आई है।
हाईकोर्ट का निर्देश
मंगलवार को हुई सुनवाई में डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा, लेकिन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए EOW और विद्युत प्राधिकरण को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।