हाईकोर्ट ने नई अधिसूचना में जांच अधिकारी को अधिक जवाबदेह बनाया और न्याय सुनिश्चित किया
बिलासपुर। रेप पीड़िता के मामलों में विवेचना के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नियमों में संशोधन करते हुए प्रावधान किया है कि मेडिकल जांच के तुरंत बाद उसका धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराया जाएगा। बयान की कॉपी संबंधित कोर्ट के आदेश पर ही मिल सकेगी।
हाईकोर्ट की अधिसूचना में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 164 ए के तहत जांच अधिकारी पीड़िता की तुरंत मेडिकल जांच कराएगा और इसके बाद मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर बयान दर्ज कराएगा। इस बयान और एफआईआर को आरोप पत्र दाखिल होते तक गोपनीय रखा जाएगा। आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अदालत से आदेश दिए जाने के बाद ही एफआईआर और बयान की कॉपी हासिल की जा सकेगी। यदि एफआईआर के 24 घंटे के भीतर महिला मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान के लिए प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो जांच अधिकारी को लिखित स्पष्टीकरण देना होगा। हाईकोर्ट ने राज्यपाल के अनुमोदन के बाद यह आदेश जारी किया है।