छत्तीसगढ़ के विधि छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय बड़ी राहत लेकर आया है। राज्य में LLB, BA-LLB, B-COM-LLB, और LLM करने वाले 12 हजार से अधिक छात्रों को अब वकालत के पेशे से जुड़ने के लिए भारी पंजीकरण शुल्क नहीं देना पड़ेगा। पहले जहाँ सामान्य और OBC वर्ग के छात्रों से 17,500 रुपए और SC-ST वर्ग के छात्रों से 16,000 रुपए पंजीकरण शुल्क लिया जाता था, अब यह शुल्क घटकर सामान्य और OBC के लिए 750 रुपए और SC-ST के लिए मात्र 125 रुपए कर दिया गया है।
न्यायिक लड़ाई का परिणाम:
यह राहत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनवाई के बाद आई, जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24 के तहत लागू किए गए अत्यधिक नामांकन शुल्क को अवैध घोषित कर दिया गया। याचिका कर्ता गौरव कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया कि अत्यधिक पंजीकरण शुल्क छात्रों के कानूनी पेशे में प्रवेश में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
छात्रों के लिए बड़ी बचत:
शुल्क में इस कमी के बाद, जहाँ पहले राज्य के 12 हजार विधि छात्रों से 21 करोड़ रुपए तक जमा होते थे, वहीं अब स्टेट बार काउंसिल के खाते में केवल 90 लाख रुपए ही जाएंगे। इस फैसले से छात्रों की कुल 20 करोड़ 10 लाख रुपए की बचत होगी।
स्टेट बार काउंसलिंग का बयानः
स्टेट बार काउंसिल छत्तीसगढ़ के सचिव अमित कुमार वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अब 1 सितंबर 2024 से नए अधिवक्ताओं का पंजीकरण शुल्क घटा दिया गया है। सामान्य और OBC वर्ग के छात्रों को 750 रुपए और SC-ST वर्ग के छात्रों को 125 रुपए जमा करने होंगे।