बिलासपुर। हाई कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य में यह देखना जरूरी है कि कोई निर्दोष सजा न पाए और कोई दोषी बच न जाए, क्योंकि यह न्यायपालिका का सार्वजनिक कर्तव्य है।
मामले की पृष्ठभूमि
कोरिया जिले के चरचा विवेकानंद कॉलोनी निवासी अजीत कुमार कुजूर के बंद क्वार्टर से तेज गंध आने पर होम गार्ड अफसाना अंसारी ने 1 जुलाई 2018 को पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच की। बंद क्वार्टर का कुंदा तोड़कर अंदर प्रवेश करने पर बेडरूम से गंध आ रही थी। पलंग के नीचे अजीत की पत्नी विनय प्रभा लकड़ा की लाश मिली, जिसके गले में नायलॉन की रस्सी बंधी हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई।
आरोपी के खिलाफ सबूत
जांच के दौरान यह पाया गया कि अजीत कुजूर की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उसने विनय प्रभा लकड़ा से दूसरी शादी की थी। आरोपी की पहली पत्नी से तीन संतानें थीं। हत्या के एक सप्ताह पहले आरोपी अपने गांव बड़े आनी चला गया था और घर में ताला लगा दिया था। पुलिस ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कड़ी जोड़ते हुए आरोपी के खिलाफ चालान पेश किया।
न्यायालय का निर्णय
निचली अदालत ने अजीत कुमार कुजूर को धारा 302 में आजीवन कारावास और धारा 201 में 5 वर्ष की सजा सुनाई। आरोपी ने इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की। अपील की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के मामलों में न्यायाधीश को यह देखना होता है कि किसी निर्दोष को सजा न मिले और कोई दोषी बच न जाए। कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए आरोपी की सजा को बरकरार रखा।
साक्ष्य और गवाह
क्वार्टर के ऊपरी हिस्से में रहने वाली होम गार्ड अफसाना अंसारी ने आरोपी को मृतका के साथ अंतिम बार देखने की पुष्टि की। मृतका की बहन ने बयान दिया कि आरोपी चरित्र पर संदेह कर मृतका के साथ मारपीट करता था। आरोपी के 13 वर्षीय पुत्र ने अपने बयान में बताया कि बड़े आनी जाने से पहले उसने अपने पिता से माँ के बारे में पूछा था, तो उन्होंने कहा कि वह मायके गई है और जल्द लौट आएगी। इस बयान से भी परिस्थितिजन्य साक्ष्य स्थापित हुआ।